Sunday, July 7, 2019

Current content ( आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 )



चर्चा में क्यों ?

  • केंद्रीय वित्त एवं कार्य वेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आर्थिक समीक्षा 2018-19 पेश की
  •  वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के आर्थिक प्रभाग ने यह सर्वेक्षण तैयार किया है
  •  इसकी थीम - " Shifting Gears "
  • या कुल 2 खंडों में पेश किया गया है ' ब्लू स्काई थिंकिंग ' अप्रोच पर आधारित इस साल का यह आर्थिक सर्वेक्षण है
  • ' ब्लू स्काई थिंकिंग ' का मतलब है - बिना किसी सीमा के नवाचारी विचारों को जन्म देना
सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था

  • 2018-19 में दुनिया तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है भारत
  •  बीते 5 सालों के दौरान 2014-15 के बाद भारत की वास्तविक जीडीपी दर ऊंची बनी रही है
  • इस दौरान औसत विकास दर को 7.5% आंका गया
  •  जीडीपी ग्रोथ की बात कर तो
        2017 से 18  में 7.2%
        2018 से 19 में 6.8% (अनंतिम अनुमान)
        2019 से 20 में 7.0% (प्रोजेक्टेड ग्रोथ)
  • चालू खाता घाटा (Current Account Deficit - CAD)
        2018-19 में GDP का 1.9% था
        अप्रैल से दिसंबर 2018 में GDP का 2.6% था
  • विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves)
        2017-18 में 424.5 बिलियन डॉलर
        2018-19 में 412.9  billion-dollar विदेशी मुद्रा    भंडार था
  • 2017-18 में FDI Inflow में 14.2% बढ़ोतरी हुई है
  •  राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) में देखे 
         2017-18 में यह GDP का 3.5% था जबकि
         2018-19 के लिए यह अकड़ा GDP 3.4% है।
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर मुद्रास्फीति - औसत का 3.4%
  • थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर मुद्रास्फीति - औसत का 4.3% है
  • प्राथमिक क्षेत्रक (कृषि और खाद्य प्रबंधन) की बात करें -

         2017-18 में GVA 5.0%
         2018-19 में GVA( ( अनंतिम अनुमान ) 2.9% है
  • द्वितीयक क्षेत्रक (उद्योग एवं अवसंरचना ) की बात करें तो -
        2017-18 में GVA 5.9%
        2018-19 में GVA 6.9% ( अनंतिम अनुमान )
  • तृतीयक क्षेत्रक ( सेवा क्षेत्र )

         2017-18 में GVA 8.1%
         2018-19 में GVA 7.5% ( अनंतिम अनुमान )
प्रमुख तथ्य

  • आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने निम्नलिखित के नाम बदलने के सुझाव दिए हैं-
  1. 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' से 'BADLAV' यानी 'बेटी आपकी धनलक्ष्मी और विजय लक्ष्मी'
  2. 'स्वच्छ भारत' से 'सुंदर भारत'
  3. एलपीजी सब्सिडी के लिए 'गिव इट अप' से 'थिंक अबाउट द सब्सिडी'
  4. 'कल वंचना' से 'कल अनुपालन' नाम करने का सुझाव है।
  • अनुसूचित बैंकों का ग्रॉस NPA 11.5% से घटाकर 10. 1% हो गया है
  • NBFCs का प्रदर्शन खराब रहा ; इनका ग्रॉस NPA मार्च 2018 के 6.1% के बरक्स दिसंबर 2018 में बढ़कर 6.5% हो गया है
  • डाटा का इस्तेमाल है जनता के लिए करने के लिए सरकार द्वारा डाटा सेट्स को मर्ज करने का सुझाव दिया गया है
  • भारत का एसडीजी सूचकांक अंक देखें-
          राज्यों के लिए 42 से 69 के बीच
         केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 57 से 68 के बीच

  • राज्यों में 69 अंकों के साथ केवल और हिमाचल प्रदेश आगे हैं
  • केंद्र शासित प्रदेश में 68 अंकों के साथ चंडीगढ़ और 65 अंकों के साथ पुदुंचेरी सबसे आगे हैं
 2040 में भारत की जनसंख्या का स्वरूप

  • 21वीं सदी के लिए जनकल्याण के प्रावधान की योजना है
  • 2021 तक रिप्लेसमेंट रेट से नेशनल टोटल फर्टिलिटी रेट कम हो जाएगी
  • मौजूदा समय में भारत की टोटल फर्टिलिटी रेट 2.3 है
  • कामकाजी आयु वर्ग की आबादी का 2021 से 2031 में 9.7 मिलियन प्रति वर्ष और 2031 से 2041 के दौरान 4.2 मिलियन प्रतिवर्ष की दर से बढ़ने का अनुमान है
  •  अगली दो दशकों में प्रारंभिक स्कूल में जाने वाले 5 से 14 साल के आयु वर्ग के बच्चों में भारी मात्रा में गिरावट आएगी
सरकार का विजन

  • न्यायालयों में पढ़ें लंबित मामलों में कमी लाना है मत्स्य न्याय को समाप्त करना सरकार का विजन है
  • एमएसएमई को बंधक मुक्त करना और उन्हें समर्थ बनाना
  • किफायती विश्वसनीय और सतत ऊर्जा के माध्यम से समावेशी वृद्धि को सक्षम बनाना
  • कल्याणकारी योजनाओं खासकर मनरेगा के लिए प्रौद्योगिकी के कारगर इस्तेमाल को बढ़ाना
  • समावेशी वृद्धि के लिए भारत में न्यूनतम वेतन प्रणाली का पुनर्निर्धारण करुणा सरकार के अन्य प्रमुख विज़नस है।

Thursday, July 4, 2019

Current news ( 21 June to 27th June) Part -3


11-  हाल ही में साइंस एडवांसेज जनरल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक हिमालय ग्लेशियर के पिघलने की दर 21वीं सदी की शुरुआत से दोगुनी हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 1975 से हिमालयी ग्लेशियर की बर्फ का एक चौथाई हिस्सा पिघल चुका है। यह तथ्य 1970 के दशक में शीत युद्ध के दौर में आमिर की सेटेलाइट द्वारा ली गई तस्वीरों और आधुनिक सेटेलाइट से मिले डाटा के अध्ययन से जुटाए गए हैं। इसमें हिमालय क्षेत्र के लगभग 650 ग्लेशियर्स में आए बदलाव का अध्ययन किया गया है, इस अध्ययन के मुताबिक हिमालय के ग्लेशियर से हर साल 8 बिलियन टन बर्फ पिघल रही है और इसकी भरपाई नहीं हो पा रही, इसका सबसे बड़ा कारण मानवीय गतिविधियां हैं; जिसके चलते और औसत तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। यह बढ़ता तापमान ग्लेशियर्स के पिघलने के दर में इजाफा कर रहा है।
इसके कई घातक परिणाम भारत, पाकिस्तान, चीन जैसे देशों पर पढ़ सकते हैं। जिनके जल संसाधन का बड़ा हिस्सा हिमालय की चोटियों से निकलने वाली बड़ी नदियों पर निर्भर है। भविष्य में दक्षिण एशिया में हिमालय के निचले हिस्से में रहने वाले लगभग 1 बिलियन लोग पानी की अनियमित आपूर्ति से प्रभावित होंगे। यह रिपोर्ट कहती है कि यदि कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए कठोर कदम उठाए जाते हैं तो भी इस सदी के आखिरी तक हिंदू कुश- हिमालय रेंज की एक-तिहाई बर्फ पिघल जाएगी। कठोर उपायों को अपनाए जाने की स्थिति में दो-तिहाई के पिघल जाने का अनुमान है।

12- हालहिं में WHO ने E- 2020 initiative:2019 प्रोग्रेस रिपोर्ट जारी कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में दुनिया के 7 देशों में मलेरिया की कोई भी मामला सामने नहीं आया है। इन देशों में चार देश एशिया के हैं। एशिया के ये चार देश चीन, ईरान, मलेशिया और तिमोर-लेस्ते हैं। वहीं एक मध्य अमेरिकी देश एल साल्वाडोर, एक दक्षिण अमेरिकी देश पराग्वे,  एक उत्तरी अफ्रीकी देश अल्जीरिया है। इनमें चीन और एल साल्वाडोर ऐसे देश हैं जहां लगातार दो साल मलेरिया के मामले सामने नहीं आए है।
दरअसल 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने E- 2020 initiative लांच किया था। जिसमें 21 देशों को शामिल किया गया था। इन देशों को 2020 तक मलेरिया मुक्त बनाने का लक्ष्य था। गौरतलब है कि यह 7 देशों ने 21 देशों में से हैं। मलेरिया प्लाज्मोडियम जैसे परजीवी के कारण होता है।जिनका वहन मादा एनोफेलीज मच्छर करते हैं। इसमें प्लाज्मोडियम फेल्सीफेरम और प्लाज्मोडियम वाइवेक्स ज्यादा महत्वपूर्ण है।

13- हाल ही में बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया है कि ना मिलाई डिफरेंस वेजिटेशन इंडेक्स उष्णकटिबंधीय वनों में हाथियों के लिए मौजूद भोजन का सही अनुमान नहीं लगाता। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस NDVI का हाथियों के द्वारा भोजन के रूप में खाए जाने वाले ग्रामीनॉइडस के साथ नकारात्मक सहसंबंध है। नॉर्मलाइज डिफरेंट वेजिटेशन इंडेक्स यानी NDVI का मापन सेटेलाइट डाटा के आधार पर किया जाता है। यह हाथी जैसे शाकाहारी जीवो के लिए भोजन की उपलब्धता का अनुमान लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दक्षिण भारत में निलगिरी और पूर्वी घाट में यह शोध किया जा गया है। इस शोध में आर्द्र पर्णपाती, शुष्क पर्णपाती और टीक वनों को शामिल किया गया है। इस शोध में पाई गई भोजन की उपलब्धता NDVI के अनुसार नहीं थी। गौरतलब है कि NDVI एक सामान्य संकेतक है यह बताता है कि कितनी भूमि वनस्पति से ढकी है। यह इंडेक्स किसी ऑब्जेक्ट के द्वारा परावर्तित रेड और near-infrared लाइट के बीच के अंतर की गणना करता है। स्वस्थ वनस्पति लाल प्रकाश का शोषण कर लेती है और near-infrared प्रकाश को परावर्तित करती है। यह अंतर स्वस्थ वनस्पति की उपलब्धता को बताता है। शोध में पता चला है कि जिन इलाकों में घास की उपलब्धता कम थी वहां का NDVI भी ज्यादा था इसका कारण कैनोपी कवर ज्यादा होना और झाड़ियों की अधिकता को बताया गया है।

14- केरल विश्वविद्यालय ने आरोग्य पाचा पौधे के जीनोम को डिकोड कर लिया है। आरोग्य पाचा पौधा औषधिये रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। इसका इस्तेमाल कणी जनजाति के लोग पारंपरिक तौर पर करते हैं थकान मिटाने के लिए। शोध के अनुसार या पौधा एंटी ऑक्साइड, एंटीमाइक्रोबियल्स, एंटी इन्फ्लेमेट्री, एंटीट्यूमर, एंटीअल्सर और एंटी डायबिटिक गुणों से युक्त है। ऐसा माना जा रहा है कि इस पौधे की जिनोम को डिकोड किए जाने से इसके गुणों पर शोध को बढ़ाया जा सकेगा। आरोग्य पाचा अगस्त्य हिल्स का स्थानीय पौधा है या पश्चिमी घाट के दक्षिणी हिस्से में 1000 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है। इन पौधों की मौजूदगी नदियों की छोटी धाराओं के पास है। इस पौधे के फल प्रारंभिक अवस्था में खाने योग्य होते हैं। आयुर्वेद में इस पौधे को 18 उच्च कोटि की औषधियों में से एक माना गया है। 1995 में टॉपिकल बौटैनिकल गार्डन एंड विजिटर्स इंस्टीट्यूट (TBGRI) ने कणी जनजाति के पारंपरिक ज्ञान की मदद से आरोग्य पांचा पौधे से जीवनी नाम की दवा बनाई थी। यह दवा थकान, तनाव, प्रतिरोधक क्षमता और लीवर के बचाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
15- हाल ही में ओडिशा सरकार ने बाढ़ आपदा एटलस जारी किया है। इसे क्लास में 2001 से 2018 तक के दौरान सेटेलाइट से ली गई चित्रों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें राज्य को बाढ़ से प्रभावी तरीके से निपटाने में मदद मिलेगी। इसके लिए इसरो के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) मैं उड़ीसा के बाढ़ प्रभावित जोंस का अध्ययन किया है। इस अध्ययन के मुताबिक 2001 से 2018 के दौरान उड़ीसा का 8.96% हिस्सा बाढ़ प्रभावित था। यह लगभग 13.9 600000 हेक्टेयर क्षेत्र है। इसमें से 2.81 लाख हेक्टेयर भूमि हाई से वैरी हाई फ्लड हजार्ड केटेगरी में आती है। ओडिशा में हर साल यहां की बड़ी नदियों मसलन महानदी, ब्राह्मणी, बैंतरनी, स्वर्णरेखा और रूशिकुल्या नदियों में बाढ़ आती है। एटलस में बाढ़ नियंत्रण के उपाय अपनाने और राहत एवं बचाव कार्यो के संचालन में मदद मिलेगी। साथ ही जरूरत वाली जगहों पर राहत और स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना भी की जा सकेगी। इस एटलस की मदद से बाढ़ वाले मैदानों में विकास गतिविधियों पर भी नियंत्रण हो सकेगा।

16- हाल ही में अमेरिका ने स्टेट डिपार्टमेंट्स 2018 रिपोर्ट इंटरनेशनल फ्रीडम जारी किया है। अमेरिका यह रिपोर्ट हर साल जारी करता है। इस रिपोर्ट में दुनिया के सभी देशों के लिए चैप्टर निर्धारित है। भारत के लिए दिए गए चैप्टर मैं भारत के मॉब लिंचिंग और देशों में अल्पसंख्यकों से जुड़े कानूनों और सरकारी नीतियों पर विस्तृत चर्चा की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और राजनीतिक दलों द्वारा उठाए गए कदमों ने देश में मुस्लिम जनसंख्या और उनके संस्था को प्रभावित किया है। भारतीय शहरों के नाम बदलने के मुद्दे को रिपोर्ट में शामिल किया गया है। इस कवायद को भारतीय इतिहास में मुसलमानों के योगदान को कम करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि किसी दूसरे देश को भारत में लोकतंत्र और कानून के शासन पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है।

17- इंस्टीट्यूट आफ लाइफ साइंसेज ने चिकनगुनिया वायरल इनफेक्शन के लिए एंटीबॉडी का विकास किया है। इस एंटीबॉडी के वाणिज्यिकरण के लिए भी इंस्टीट्यूट आफ लाइफ साइंसेज को लाइसेंस मिल गया है। इस एंटीबॉडी का विकास सोमा चट्टोपाध्याय की अगुवाई वाली टीम ने किया है।अब ILS इस एंटीबॉडी को वाणिज्यिकरण के लिए बायो टेक्नोलॉजी कंपनी से साझेदारी करेगा ILS इससे पहले चिकनगुनियाा वायरल इन्फेक्शन के लिए एंटीबॉडी के विकास की बात सामनेे नहीं आई है। इस तरह ILS  की टीम चिकनगुनिया वायरल इंफेक्शन के लिए एंटीबॉडी का विकास करने वाला पहला समूह है। इस एंटीबॉडी को चिकनगुनिया वायरल इंफेक्शन के लिए nsP1, nsP3 और nsP4 प्रोटीन के लिए  संवेदनशील और पॉलीक्लोनल एंटीबॉडी के तौर पर बांटा गया है। चिकनगुनिया वायरस से फैलने वाली बीमारी है। यह संख्या में मच्छरों सेे मानव में फैलती है। इसके लिए जिम्मेदार मच्छर एडीज एजेप्टी और एडीज एल्बोपिक्ट हैंं।

Monday, July 1, 2019

Current news ( 21 June to 27th June) Part -2


5- केंद्र सरकार ने सोलर और वेंट पावर डेवलपर्स और SECI/NTPC के बीच होने वाले विवादों को निपटाने के लिए एक 3 सदस्य डिस्प्यूट रेजोल्यूशन कमेटी (DRC) के गठन की मंजूरी दी है। यह कमेटी ऐसी समस्याओं का निवारण करेगी जिनका उल्लेख कांट्रैक्ट मैं नहीं है इससे देश में सौर और पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट्स में बाधा रहित संचालन में मदद मिलेगी। डिस्प्यूट रेजोल्यूशन कमेटी की समस्या समाधान प्रणाली SECI या NTPC द्वारा कार्यान्वित की जा रही सभी पवन और सौर ऊर्जा योजनाओं, कार्यक्रम और प्रोजेक्ट्स पर लागू होगी। SECI का पूरा नाम Solar Energy Corporation of India Ltd हैं|
2011 में इसकी स्थापना जवाहरलाल नेहरू नेशनल सोलर मिशन क्रियान्वयन के लिए की गई थी। यह सौर ऊर्जा क्षेत्र के लिए एकमात्र केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम है। लेकिन वर्तमान में यह पूरे नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को कवर करती है। वर्तमान में या नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं मसलन सोलर पार्क स्कीम, गेट कनेक्टेड सोलर रूफटॉप स्कीम आदि को लागू करती है। वही NTPC की स्थापना 1975 में हुई थी, इसे 2010 में महारत्न कंपनी का दर्जा मिला था।

6- चोरी हुए फोन को ट्रेक करने के लिए और उनके डेटाबेस को गलत इस्तेमाल से बचाने के लिए संचार मंत्रालय जल्द ही IMEI डेटाबेस जारी करने वाला है। 15 अंकों वाले IMEI के लिए मंत्रालय एक सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर तैयार करेगा। इसकी जब यह चोरी हुए फोन पूरी तरह बंद किए जा सकेंगे। दरअसल चोरी हुए फोन के बारे में टेलीकॉम विभाग को सूचना देने पर फोन के IMEI नंबर को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। इसके बाद उस फोन में किसी भी कंपनी। कंपनी के सिम कार्ड का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
IMEI (International Mobile Equipment Identity) यह एक यूनिक नंबर होता है। जिसके जरिए किसी भी फोन की पहचान की जा सकती है। इस डेटाबेस में ब्लैक, व्हाइट और ग्रे तीन तरह की लिस्ट होंगी। ब्लैक लिस्ट वाले फोन पूरी तरह काम करना बंद कर देंगे जबकि व्हाइट लिस्ट वाले फोन काम करते रहेंगे और उन्हें खरीदा और बेचा भी जा सकेगा, वही ग्रे लिस्ट वाले फोन कुछ शब्दों के तहत काम करने की इजाजत मिलेगी।

7- अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा में 4 हाथियों को भेजे जाने के मामले ने विवाद का रूप ले लिया है। इन हाथियों को असम वन विभाग के द्वारा गुजरात भेजे जाने के फैसले का पर्यावरण कार्यकर्ता भारी विरोध कर रहे हैं। इनका मानना है कि इस भीषण गर्मी में हाथियों को ट्रेन से भेजने पर उनके जीवन को खतरा हो सकता है। हाथियों को त्वचा संक्रमण या डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।
दरअसल वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची -1 के मुताबिक किसी भी हाथी को एक बार में 30 किलोमीटर या 3 घंटे से ज्यादा नहीं चलाया जा सकता हैं। वही इस बात का भी जिक्र है कि एक बार में 6 घंटे से ज्यादा वक्त के लिए हाथियों का परिवहन नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि हाथियों को असम से गुजरात ले जाने में लगभग 70 घंटे की संभावना है इसी कानून की धारा 43 (1) के मुताबिक क्रय-विक्रय या किसी वाणिज्य उद्देश्य से किसी की बंदी प्राणी (Captive animal)  का अंतरण नहीं किया जा सकता।
2016 में वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था बंदी हाथियों को किसी भी तरीके से राज्य के बाहर  ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।
     
8- हाल ही में जीएसटी काउंसिल की 35 बी बैठक हुई। इस बैठक में कई माह स्कूल फैसले लिए गए। बैठक में नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी का कार्यालय 2 सालों के लिए बढ़ा दिया गया है। साथी कारोबार करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए महज आधार नंबर देकर जीएसटी रजिस्ट्रेशन का प्रावधान किया गया है। मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने के लिए जीएसटी कटौती का लाभ ग्राहकों को ना देने वाली कंपनियों पर लाभ की राशि के 10% तक जुर्माना लगाने का प्रावधान भी किया गया है। दूसरे तरफ सालाना रिटर्न GSTR-9, 9A और 9C जमा करने की अंतिम तिथि 30 जून से बढ़ाकर 30 अगस्त कर दी गई है। चरण बद्ध तरीके से e-Invoicing और e-Ticketing की व्यवस्था को भी मंजूरी दी गई है। दरअसल इस व्यवस्था में e-Tiket को ही Tax Invoice माना जाएगा। परिषद ने इलेक्ट्रॉनिक वाहनों पर जीएसटी कटौती का मामला फिटमेंट कमिटी के पास भेज दिया है। अगली मीटिंग से पहले यह कमेटी अपनी रिपोर्ट दे देगी।

9- गुजरात राज्य सभा चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बेहद अहम फैसला आया है । जिसमें कोर्ट का फैसला Casual Vacancy के पक्ष में आया है।
गुजरात में 2 राज्य सभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में विवाद खड़ा हो जाने से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। दरअसल चुनाव आयोग ने दोनों सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराने के लिए अलग अलग नोटिफिकेशन जारी किया है।लेकिन कांग्रेस ने दोनों ही सीटों पर एक साथ चुनाव कराए जाने की मांग की। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिफिकेशन जारी कर खाली हुई सीटों की प्रकृति के बारे में पूछा। जब किसी भी सदन के लिए उप चुनाव की स्थिति पैदा हो जाती है तो उसे Casual Vacancy कहते हैं।
इसकी चर्चा जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 147 से 151 में की गई है। वही कार्यालय पूरा होने के बाद सीट खाली होने पर उसे Statutory या Regular Vacancy कहते हैं। कानून के मुताबिक राज्य सभा या विधान परिषद में कैजुअल वैकेंसी के लिए अलग-अलग और रेगुलर वैकेंसी के लिए एक साथ चुनाव कराए जाने का प्रावधान है। मौजूदा गुजरात चुनाव में संख्या बल मुताबिक जीत हासिल करने के लिए एक उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के 59 वोट चाहिए। जब दोनों सीटों के लिए एक ही बैलट पेपर से चुनाव होगा तो कांग्रेस और भाजपा दोनों को एक-एक सीट पर आसानी से जीत मिल पाएगी क्योंकि भाजपा के पास 100 और कांग्रेश के पास 71 विधायक हैं। लेकिन अलग-अलग बैलेट पेपर से चुनाव होने से विधायक अलग-अलग वोट करेंगे, ऐसे में भाजपा के पास 100 विधायक होने से दोनों ही सीटें उनकी झोली में चली जाएंगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी 1994 और 2009 में अलग-अलग चुनाव कराने के पक्ष में फैसला दिया था। राज्यसभा में चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।

10- उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने विधेयक संबंधी संवैधानिक प्रावधानों पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है। संसद की उत्पादकता को बढ़ाने के मकसद से विधेयकों के लंबित और उनके निष्प्रभावी होने संबंधी प्रावधान पर विचार करने की बात कही गई है। दरअसल सोलवीं लोक सभा के विघटन के बाद 22 विधेयक निष्प्रभावी ( Lapse) हो गए जबकि वह लोकसभा में पेश हो चुके थे। लिहाजा उन्हें पारित करने के लिए लोक सभा में फिर से पेश करना होगा।
वेंकैया नायडू ने दूसरी सलाह दी है कि अगर कोई बिल 5 सालों के भीतर पारित नहीं हो पाता है तो उसे भी लैप्स माना जाना चाहिए।
गौरतलब है कि 1987 का द इंडियन मेडिकल काउंसिल संशोधन विधेयक 32 सालों से राज्यसभा में लंबित है। संविधान के अनुछेद 107 (5) मे कहा गया है कि कोई विधेयक जो लोकसभा में लंबित है या जो लोकसभा से पारित हो चुका है और राज्यसभा में लंबित है वह लोकसभा के विघटन के बाद लैप्स हो जाएगा। वहीं अनुच्छेद 107 (4) के मुताबिक राज्यसभा में लंबित विधेयक जिसे लोकसभा ने पारित नहीं किया है वह लोकसभा के विघटन के बाद लैप्स नहीं होगा।




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