Monday, July 1, 2019

Current news ( 21 June to 27th June) Part -2


5- केंद्र सरकार ने सोलर और वेंट पावर डेवलपर्स और SECI/NTPC के बीच होने वाले विवादों को निपटाने के लिए एक 3 सदस्य डिस्प्यूट रेजोल्यूशन कमेटी (DRC) के गठन की मंजूरी दी है। यह कमेटी ऐसी समस्याओं का निवारण करेगी जिनका उल्लेख कांट्रैक्ट मैं नहीं है इससे देश में सौर और पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट्स में बाधा रहित संचालन में मदद मिलेगी। डिस्प्यूट रेजोल्यूशन कमेटी की समस्या समाधान प्रणाली SECI या NTPC द्वारा कार्यान्वित की जा रही सभी पवन और सौर ऊर्जा योजनाओं, कार्यक्रम और प्रोजेक्ट्स पर लागू होगी। SECI का पूरा नाम Solar Energy Corporation of India Ltd हैं|
2011 में इसकी स्थापना जवाहरलाल नेहरू नेशनल सोलर मिशन क्रियान्वयन के लिए की गई थी। यह सौर ऊर्जा क्षेत्र के लिए एकमात्र केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम है। लेकिन वर्तमान में यह पूरे नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को कवर करती है। वर्तमान में या नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं मसलन सोलर पार्क स्कीम, गेट कनेक्टेड सोलर रूफटॉप स्कीम आदि को लागू करती है। वही NTPC की स्थापना 1975 में हुई थी, इसे 2010 में महारत्न कंपनी का दर्जा मिला था।

6- चोरी हुए फोन को ट्रेक करने के लिए और उनके डेटाबेस को गलत इस्तेमाल से बचाने के लिए संचार मंत्रालय जल्द ही IMEI डेटाबेस जारी करने वाला है। 15 अंकों वाले IMEI के लिए मंत्रालय एक सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर तैयार करेगा। इसकी जब यह चोरी हुए फोन पूरी तरह बंद किए जा सकेंगे। दरअसल चोरी हुए फोन के बारे में टेलीकॉम विभाग को सूचना देने पर फोन के IMEI नंबर को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। इसके बाद उस फोन में किसी भी कंपनी। कंपनी के सिम कार्ड का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
IMEI (International Mobile Equipment Identity) यह एक यूनिक नंबर होता है। जिसके जरिए किसी भी फोन की पहचान की जा सकती है। इस डेटाबेस में ब्लैक, व्हाइट और ग्रे तीन तरह की लिस्ट होंगी। ब्लैक लिस्ट वाले फोन पूरी तरह काम करना बंद कर देंगे जबकि व्हाइट लिस्ट वाले फोन काम करते रहेंगे और उन्हें खरीदा और बेचा भी जा सकेगा, वही ग्रे लिस्ट वाले फोन कुछ शब्दों के तहत काम करने की इजाजत मिलेगी।

7- अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा में 4 हाथियों को भेजे जाने के मामले ने विवाद का रूप ले लिया है। इन हाथियों को असम वन विभाग के द्वारा गुजरात भेजे जाने के फैसले का पर्यावरण कार्यकर्ता भारी विरोध कर रहे हैं। इनका मानना है कि इस भीषण गर्मी में हाथियों को ट्रेन से भेजने पर उनके जीवन को खतरा हो सकता है। हाथियों को त्वचा संक्रमण या डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।
दरअसल वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची -1 के मुताबिक किसी भी हाथी को एक बार में 30 किलोमीटर या 3 घंटे से ज्यादा नहीं चलाया जा सकता हैं। वही इस बात का भी जिक्र है कि एक बार में 6 घंटे से ज्यादा वक्त के लिए हाथियों का परिवहन नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि हाथियों को असम से गुजरात ले जाने में लगभग 70 घंटे की संभावना है इसी कानून की धारा 43 (1) के मुताबिक क्रय-विक्रय या किसी वाणिज्य उद्देश्य से किसी की बंदी प्राणी (Captive animal)  का अंतरण नहीं किया जा सकता।
2016 में वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था बंदी हाथियों को किसी भी तरीके से राज्य के बाहर  ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।
     
8- हाल ही में जीएसटी काउंसिल की 35 बी बैठक हुई। इस बैठक में कई माह स्कूल फैसले लिए गए। बैठक में नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी का कार्यालय 2 सालों के लिए बढ़ा दिया गया है। साथी कारोबार करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए महज आधार नंबर देकर जीएसटी रजिस्ट्रेशन का प्रावधान किया गया है। मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने के लिए जीएसटी कटौती का लाभ ग्राहकों को ना देने वाली कंपनियों पर लाभ की राशि के 10% तक जुर्माना लगाने का प्रावधान भी किया गया है। दूसरे तरफ सालाना रिटर्न GSTR-9, 9A और 9C जमा करने की अंतिम तिथि 30 जून से बढ़ाकर 30 अगस्त कर दी गई है। चरण बद्ध तरीके से e-Invoicing और e-Ticketing की व्यवस्था को भी मंजूरी दी गई है। दरअसल इस व्यवस्था में e-Tiket को ही Tax Invoice माना जाएगा। परिषद ने इलेक्ट्रॉनिक वाहनों पर जीएसटी कटौती का मामला फिटमेंट कमिटी के पास भेज दिया है। अगली मीटिंग से पहले यह कमेटी अपनी रिपोर्ट दे देगी।

9- गुजरात राज्य सभा चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बेहद अहम फैसला आया है । जिसमें कोर्ट का फैसला Casual Vacancy के पक्ष में आया है।
गुजरात में 2 राज्य सभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में विवाद खड़ा हो जाने से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। दरअसल चुनाव आयोग ने दोनों सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराने के लिए अलग अलग नोटिफिकेशन जारी किया है।लेकिन कांग्रेस ने दोनों ही सीटों पर एक साथ चुनाव कराए जाने की मांग की। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिफिकेशन जारी कर खाली हुई सीटों की प्रकृति के बारे में पूछा। जब किसी भी सदन के लिए उप चुनाव की स्थिति पैदा हो जाती है तो उसे Casual Vacancy कहते हैं।
इसकी चर्चा जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 147 से 151 में की गई है। वही कार्यालय पूरा होने के बाद सीट खाली होने पर उसे Statutory या Regular Vacancy कहते हैं। कानून के मुताबिक राज्य सभा या विधान परिषद में कैजुअल वैकेंसी के लिए अलग-अलग और रेगुलर वैकेंसी के लिए एक साथ चुनाव कराए जाने का प्रावधान है। मौजूदा गुजरात चुनाव में संख्या बल मुताबिक जीत हासिल करने के लिए एक उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के 59 वोट चाहिए। जब दोनों सीटों के लिए एक ही बैलट पेपर से चुनाव होगा तो कांग्रेस और भाजपा दोनों को एक-एक सीट पर आसानी से जीत मिल पाएगी क्योंकि भाजपा के पास 100 और कांग्रेश के पास 71 विधायक हैं। लेकिन अलग-अलग बैलेट पेपर से चुनाव होने से विधायक अलग-अलग वोट करेंगे, ऐसे में भाजपा के पास 100 विधायक होने से दोनों ही सीटें उनकी झोली में चली जाएंगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी 1994 और 2009 में अलग-अलग चुनाव कराने के पक्ष में फैसला दिया था। राज्यसभा में चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।

10- उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने विधेयक संबंधी संवैधानिक प्रावधानों पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है। संसद की उत्पादकता को बढ़ाने के मकसद से विधेयकों के लंबित और उनके निष्प्रभावी होने संबंधी प्रावधान पर विचार करने की बात कही गई है। दरअसल सोलवीं लोक सभा के विघटन के बाद 22 विधेयक निष्प्रभावी ( Lapse) हो गए जबकि वह लोकसभा में पेश हो चुके थे। लिहाजा उन्हें पारित करने के लिए लोक सभा में फिर से पेश करना होगा।
वेंकैया नायडू ने दूसरी सलाह दी है कि अगर कोई बिल 5 सालों के भीतर पारित नहीं हो पाता है तो उसे भी लैप्स माना जाना चाहिए।
गौरतलब है कि 1987 का द इंडियन मेडिकल काउंसिल संशोधन विधेयक 32 सालों से राज्यसभा में लंबित है। संविधान के अनुछेद 107 (5) मे कहा गया है कि कोई विधेयक जो लोकसभा में लंबित है या जो लोकसभा से पारित हो चुका है और राज्यसभा में लंबित है वह लोकसभा के विघटन के बाद लैप्स हो जाएगा। वहीं अनुच्छेद 107 (4) के मुताबिक राज्यसभा में लंबित विधेयक जिसे लोकसभा ने पारित नहीं किया है वह लोकसभा के विघटन के बाद लैप्स नहीं होगा।




अगर आपको हमारे आर्टिकल अच्छे लगते हो तो शेयर और कमेंट करना ना भूले।
                                                                                         धन्यवाद

No comments:

भूटान के नए क्षेत्र पर चीन का दावा

                 चर्चा में क्यों ? एक बार फिर भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद सुर्खियों में है। चीन ने भूटान के पूर्वी भारत पर ...