Tuesday, July 7, 2020

भूटान के नए क्षेत्र पर चीन का दावा

                

चर्चा में क्यों ?
  • एक बार फिर भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद सुर्खियों में है।
  • चीन ने भूटान के पूर्वी भारत पर दावा किया है; सकतेंग वन जीव अभ्यारण को सीमा विवाद वाला क्षेत्र बताया है। 
  • भारत के अरुणाचल प्रदेश से यह अभ्यारण सटा हुआ है।
  • चीन के इस नए दावे से भारत और चीन के बीच तनाव और ज्यादा बढ़ने की आशंका है।
क्या है यह नया विवाद
  • चीन ने भूटान के पूर्व की सीमा में स्थित सकतेंग वन्य जीव अभ्यारण को दोनों देशों के बीच विवाद क्षेत्र बताया
  • यह क्षेत्र में इससे पहले कभी विवादित नहीं था।
  • भूटान ने चीन के दावे को सिरे से खारिज किया है और अभ्यारण को भूटान का अटूट हिस्सा बताया है।
  • चीन ने ग्लोबल एनवायरमेंट फैसिलिटी (GEF) काउंसिल की 58 वीं बैठक में इस अभ्यारण को दी जा रही फंडिंग पर रोक लगाने की कोशिश की थी।
  • हालांकि काउंसिल ने चीन के दावे को खारिज करते हुए अभ्यारण के विकास के लिए फंड पास कर दिया था।
  • चीन और भूटान के बीच कोई फॉर्मल डिप्लोमेटिक रिलेशंस नहीं है।
  • अभी तक दोनों देशों के बीच सीमाएं तय नहीं की गई है।
  • चीन और भूटान ने वर्ष 1984 से लेकर 2016 के बीच में अब तक 24  दौर की बातचीत की है।
सकतेंग वन्य जीव अभ्यारण 
  • यह अभ्यारण भूटान के सुदूर पूर्वी भाग में त्राशीगंग जिले में स्थित है।
  • इसकी स्थापना 2003 में की गई थी।
  • यह पूर्व और उत्तर में अरुणाचल प्रदेश से सीमा साझा करता है।
  • यह मेरक, सकतेंग और लौरी गेओंग के लगभग 740.60 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
  • यह मुख्य रूप से रेड पांडा, हिमालय मोनाल तीतर पक्षी (Monal pheasant) बुरुंश का फूल (Rhododendran) , Khaling torrent Catfish आदि पाई जाती है।
अन्य मुख्य बातें
  • ग्लोबल एनवायरमेंट फैसिलिटी (GEF) की स्थापना 1992 में की गई थी।
  • यह एक ग्लोबल बॉडी है जो पर्यावरणीय क्षेत्र के प्रोजेक्ट को फाइनेंस करती है।
  • अब तक भूटान और चीन के बीच केवल उत्तर और पश्चिम में सीमा विवाद था।
  • उत्तर में पसमलूंग एवं जकरलूंग और पश्चिम में डोकलाम विवादित क्षेत्र था।
  • जबकि पूर्वी क्षेत्रों को लेकर दोनों देशों के बीच कभी कोई विवाद नहीं रहा है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि चीन भारत के सामने एक नया फ्रंट खोलने की कोशिश कर रहा है।


                              अभ्यास प्रश्न
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
  1. सकतेंग  जीव अभ्यारण भूटान के पश्चिमी भाग में स्थित है
  2. ग्लोबल एनवायरमेंट फैसिलिटी की स्थापना 1992 में की गई थी।
  3. ग्लोबल एनवायरमेंट फैसिलिटी पर्यावरणीय क्षेत्र को फाइनेंस करने वाला एक वैश्विक निकाय है।
उपर्युक्त में से कौन से कथन सत्य है
A. केवल 1 और 3 
B. केवल 1 और 2
C. केवल 2 और 3
D. उपर्युक्त सभी





Monday, July 6, 2020

State of World population 2020 report

         

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में स्टेट ऑफ़ वर्ल्ड पापुलेशन 2020 रिपोर्ट जारी हुआ
  • यूनाइटेड नेशन पापुलेशन पॉइंट (UNFPA) द्वारा इसे जारी किया गया ।   
रिपोर्ट में विश्व से संबंधित मुख्य बिंदु

  • दुनिया भर में पिछले 50 वर्षों में 'मिसिंग फीमेल' की संख्या दोगुनी से भी अधिक हुई है।
  • 'मिसिंग फीमेल' का अर्थ : वे महिलाएं या लड़कियां जो जन्म से पहले या बाद में जेंडर आधारित सेक्स सेलेक्शन की वजह से जनसंख्या में मिसिंग हो गई है।
  • जहां 1970 में मिसिंग फीमेल की संख्या 61 मिलियन थी वहीं 2020 में यह संख्या बढ़कर 142.6 मिलियन हो गई है।
  • दुनिया भर में हर साल जन्म से पहले सेक्स सेलेक्शन की वजह से अनुमानित 1.2 मिलियन से 1.5 मिलियन लड़कियों का जन्म ही नहीं हो पाता है। यानी अनुमानित 1.2 मिलियन से 1.5 मिलियन 'female embryo' को मार दिया जाता है।
  • इन कूल embryo हत्याओं का 90% से 95% भारत और चीन में होता है।
  • दोनों देशों में प्रत्येक वर्ष सबसे अधिक जन्म भी होता है।
 रिपोर्ट में भारत से संबंंधित मुख्य

  • पिछले 50 वर्षों में भारत में मिसिंग फीमेल की संख्या 45.8 मिलियन और चीन में 72.3 मिलियन हो गई है।
  • भारत मैं 2013 से 2017 के बीच प्रत्येक वर्ष 460000 लड़कियां जन्म से पहले मिसिंग हुई है। यानी भारत में 2013 से 2017 के बीच जन्म से पहले सेक्स सेलेक्शन की वजह से प्रत्येक वर्ष लगभग 460000 लड़कियों का जन्म ही नहीं हुआ।
  • एक विश्लेषण के अनुसार कुल मिसिंग लड़कियों की दो-तिहाई संख्या का मुख्य कारण जेंडर आधारित सेक्स सिलेक्शन जबकि एक तिहाई प्रमुख कारण जन्म के बाद female morality है। 
  •  रिपोर्ट में 2014 के अध्ययन के अनुसार भारत में 'excess female morality rate' सबसे ज्यादा है।
  • excess female morality rate  गर्ल चाइल्ड के आब्जर्ब्ड एक्सपेक्टेड मोर्टेलिटी का अंतर होता है।
  • भारत में 5 साल से कम उम्र की हर 9 में से एक बच्ची को जन्म के बाद सेक्स सिलेक्शन की वजह से मार दिया जाता है।
कुछ अन्य प्रमुख बातें
  • यह रिपोर्ट मुख्यता तीन बातों पर फोकस करती है
  1. बाल विवाह
  2. फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन
  3. लड़कियों से ज्यादा लड़कों को प्राथमिकता देना
  • रिपोर्ट के अनुसार और फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन जैसे बुराइयों को 2030 तक लगभग 3.4 मिलियन डॉलर के निवेश से खत्म किया जा सकता है।

Sunday, July 5, 2020

The Hindu एडिटोरियल

              पुलिस सुधार और न्यायिक समर्थन 


प्रश्न- ‘किसी भी लोकतांत्रिक देश में पुलिस बल की शक्ति का आधार जनता का उसमें विश्वास है और यदि यह नहीं है तो समाज के लिये घातक है।’ समीक्षा कीजिये।
उत्तर -    

संदर्भ 

हाल ही में तमिलनाडु पुलिस द्वारा हिरासत में लिये गए दो व्यापारियों की मृत्यु (Custodial Death) और यातना की घटना ने भारत की विघटित होती आपराधिक न्यायिक प्रणाली की ओर इशारा करते हुए देश में पुलिस सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है। पुलिस व्यवस्था में सुधार के साथ ही न्यायिक प्रक्रियाओं के उचित उपयोग का मुद्दा भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि प्रायः यह देखा जाता है कि रिमांड के संदर्भ में याचिका स्वीकार करते हुए न्यायिक दंडाधिकारी (Judicial Magistrate) उसकी प्रासंगिकता पर विचार नहीं करते हैं और वे पुलिस के पक्ष पर अति-विश्वास से प्रभावित होते हैं। 
इस आलेख में पुलिस व्यवस्था, बदलाव की आवश्यकता, विभिन्न आयोग व समितियों की सिफारिशें, पुलिस सुधार में न्यायालयों की भूमिका और नागरिकों को प्राप्त अधिकारों पर चर्चा की जाएगी। 

राज्य सूची का विषय

  • संविधान के अंतर्गत, पुलिस राज्य सूची का विषय है, इसलिये भारत के प्रत्येक राज्य के पास अपना एक पुलिस बल है। राज्यों की सहायता के लिये केंद्र को भी पुलिस बलों के रखरखाव की अनुमति दी गई है ताकि कानून और व्यवस्था की स्थिति सुनिश्चित की जा सके।
  • दरअसल, पुलिस बल राज्य द्वारा अधिकार प्रदत्त व्यक्तियों का एक निकाय है, जो राज्य द्वारा निर्मित कानूनों को लागू करने, संपत्ति की रक्षा और नागरिक अव्यवस्था को सीमित रखने का कार्य करता है। पुलिस को प्रदान की गई शक्तियों में बल का वैध उपयोग करना भी शामिल है।

पुलिस सुधार की आवश्यकता क्यों?  

  • देश में अधिकांशतः राज्यों में पुलिस की छवि तानाशाहीपूर्ण, जनता के साथ मित्रवत न होना और अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने की रही है।
  • रोज़ ऐसे अनेक किस्से सुनने-पढ़ने और देखने को मिलते हैं, जिनमें पुलिस द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया जाता है। पुलिस का नाम लेते ही प्रताड़ना, क्रूरता, अमानवीय व्यवहार, रौब, उगाही, रिश्वत आदि जैसे शब्द दिमाग में कौंध जाते हैं।
  • भारत के अधिकांश राज्यों ने अपने पुलिस संबंधी कानून ब्रिटिश काल के पुलिस अधिनियम, 1861 के आधार पर बनाए हैं, जिसके कारण ये सभी कानून भारत की मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं है। 
  • विदित है कि मौजूदा दौर में गुणवत्तापूर्ण जाँच के लिये नवीन तकनीकी क्षमताओं की आवश्यकता होती है, किंतु भारतीय पुलिस व्यवस्था में आवश्यक तकनीक के अभाव में सही ढंग से जाँच संभव नहीं हो पाती है और कभी-कभी इसका असर उचित न्याय मिलने की प्रक्रिया पर भी पड़ता है।
  • भारत में पुलिस-जनसंख्या अनुपात काफी कम है, जिसके कारण लोग असुरक्षित महसूस करते हैं और पुलिस को मानव संसाधन की कमी से जूझना पड़ता है।  

पुलिस सुधारों के लिये विभिन्न आयोग व समितियाँ 

धर्मवीर आयोग (राष्ट्रीय पुलिस आयोग)

  • वर्ष 1977 में पुलिस सुधारों को केंद्र में रखकर जनता पार्टी की सरकार द्वारा श्री धर्मवीर की अध्यक्षता में गठित इस आयोग को राष्ट्रीय पुलिस आयोग (National Police Commission) कहा जाता है। चार वर्षों में इस आयोग ने केंद्र सरकार को आठ रिपोर्टें सौंपी थीं, लेकिन इसकी सिफारिशों पर अमल नहीं किया गया। 
  • धर्मवीर आयोग की प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार हैं-
    • प्रत्येक राज्य में एक प्रदेश सुरक्षा आयोग का गठन किया जाए। 
    • जाँच कार्यों को शांति व्यवस्था संबंधी कामकाज से अलग किया जाए। 
    • पुलिस प्रमुख की नियुक्ति के लिये एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाए।
    • पुलिस प्रमुख का कार्यकाल तय किया जाए।
    • एक नया पुलिस अधिनियम बनाया जाए।

पद्मनाभैया समिति

  • वर्ष 2000 में पुलिस सुधारों पर पद्मनाभैया समिति का गठन किया गया था। 
  • इस समिति का मुख्य कार्य पुलिस बल की भर्ती प्रक्रियाओं, प्रशिक्षण, कर्तव्यों और ज़िम्मेदारियों, पुलिस अधिकारियों के व्यवहार और पुलिस जाँच आदि विषयों का अध्ययन करना था।

अन्य समितियाँ 

  • वर्ष 1997 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री इंद्रजीत गुप्त ने देश के सभी राज्यों के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को एक पत्र लिखकर पुलिस व्यवस्था में सुधार के लिये कुछ सिफारिशें भेजी थीं।
  • देश में आपातकाल के दौरान हुई ज़्यादतियों की जाँच के लिये गठित शाह आयोग ने भी ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिये पुलिस को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त करने की बात कही थी।
  • इसके अलावा राज्य स्तर पर गठित कई पुलिस आयोगों ने भी पुलिस को बाहरी दबावों से बचाने की सिफारिशें की थीं। 
  • इन समितियों ने राज्यों में पुलिस बल की संख्या बढ़ाने और महिला कांस्टेबलों की भर्ती करने की भी सिफारिश की थी।

मॉडल पुलिस एक्ट, 2006

  • वर्ष 2006 में सोली सोराबजी समिति ने मॉडल पुलिस अधिनियम का प्रारूप तैयार किया था, लेकिन केंद्र या राज्य सरकारों ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। 
  • विदित है कि गृह मंत्रालय ने 20 सितंबर, 2005 को विधि विशेषज्ञ सोली सोराबजी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसने 30 अक्तूबर 2006 को मॉडल पुलिस एक्ट, 2006 का प्रारूप केंद्र सरकार को सौंपा।

सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय 

  • जब किसी भी आयोग और समिति की रिपोर्ट पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई तो उत्तर प्रदेश व असम में पुलिस प्रमुख और सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक रहे प्रकाश सिंह ने वर्ष 1996 में सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर अपील की कि सभी राज्यों को राष्ट्रीय पुलिस आयोग की सिफारिशों को लागू करने के निर्देश दिये जाए।
  • इस याचिका पर एक दशक तक चली सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कई आयोगों की सिफारिशों का अध्ययन कर आखिर में 22 सितंबर, 2006 को पुलिस सुधारों पर निर्णय देते हुए राज्यों और केंद्र के लिये कुछ दिशा-निर्देश जारी किये।
    • राज्यों को निर्देश: इनमें पुलिस पर राज्य सरकार का प्रभाव कम करने के लिये राज्य सुरक्षा आयोग का गठन करने, पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का न्यूनतम कार्यकाल दो साल तय करने, जाँच और कानून व्यवस्था की बहाली का ज़िम्मा अलग-अलग पुलिस इकाइयों को सौंपने, सेवा संबंधी तमाम मामलों पर फैसले के लिये एक पुलिस इस्टैब्लिशमेंट बोर्ड (Police Establishment Board) का गठन करने और पुलिस अफसरों के खिलाफ शिकायतों की जाँच के लिये पुलिस शिकायत प्राधिकरण का गठन करने जैसे दिशा-निर्देश शामिल थे। 
    • केंद्र को निर्देश: सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को केंद्रीय पुलिस बलों में नियुक्तियों और कर्मचारियों के लिये बनने वाली कल्याण योजनाओं की निगरानी के लिये एक राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग के गठन का भी निर्देश दिया था, लेकिन अब तक इसका गठन नहीं हो सका है।
पुलिस सुधारों के प्रति राज्यों में गंभीरता का अभाव
  • विदित है कि राज्य सरकारें कई बार पुलिस प्रशासन का दुरुपयोग भी करती हैं। कभी अपने राजनीतिक विरोधियों से निपटने के लिये तो कभी अपनी किसी नाकामी को छिपाने के लिये संभवत: यही मुख्य कारण है कि राज्य सरकारें पुलिस सुधार के लिये तैयार नहीं हैं।
  • राज्य सरकारें पुलिस सुधार के लिये कितनी संजीदा हैं, यह इस बात से समझा जा सकता है कि वर्ष 2017 में जब गृह मंत्रालय ने द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 153 अति महत्त्वपूर्ण सिफारिशों पर विचार करने के लिये मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाया जिनमें पुलिस सुधार पर चिंतन-मनन होना था, तो इस सम्मेलन में अधिकतर मुख्यमंत्री अनुपस्थित रहे। 
  • पुलिस सुधार के एजेंडे में जाँच व पूछताछ के तौर-तरीके, जाँच विभाग को विधि-व्यवस्था विभाग से अलग करने, महिलाओं की 33 प्रतिशत भागीदारी के अलावा पुलिस की निरंकुशता की जाँच के लिये विभाग बनाने पर भी चर्चा की जानी थी।
  • आज भी ज़्यादातर राज्य सरकारें पुलिस सुधार के मसले पर अपना रुख स्पष्ट करने को तैयार नहीं हैं। यह आनाकानी पुलिस सुधार को लेकर उनकी बेरुखी को ही दर्शाती है। 

आवश्यक है न्यायालय का सहयोग

  • तमिलनाडु में व्यापारियों की पुलिस हिरासत में हुई मृत्यु से यह स्पष्ट है कि न्यायिक दंडाधिकारी ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मनुभाई रतिलाल पटेल बनाम गुजरात सरकार मामले में दी गई व्यवस्था के उलट काम किया है।
    • जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया था कि रिमांड या उसकी समयावधि तय करते समय दंडाधिकारी न्यायिक कार्य का निर्वहन करता है। एक अभियुक्त की रिमांड पर निर्देश देना मौलिक रूप से एक न्यायिक कार्य है। 
    • दंडाधिकारी एक अभियुक्त को हिरासत में रखने का आदेश देते समय कार्यकारी क्षमता में कार्य नहीं करता है, इस न्यायिक कार्य के दौरान दंडाधिकारी का स्वयं इस पर संतुष्ट होना अनिवार्य है कि क्या उसके समक्ष रखे गए तथ्य इस तरह की रिमांड के लिये आवश्यक है या इसे अलग तरीके से देखा जाना चाहिये, भले ही अभियुक्त को हिरासत में रखने और उसकी रिमांड बढ़ाने के लिये पर्याप्त आधार मौजूद हों।
  • भारतीय दंड संहिता की धारा 167 के अनुसार, अपेक्षित रिमांड का उद्देश्य यह है कि जाँच 24 घंटे की निर्धारित समयावधि में पूरी नहीं की जा सकती। यह दंडाधिकारी को इस तथ्य का पर्यवेक्षण करने की शक्ति देता है कि क्या रिमांड वास्तव में आवश्यक है? दंडाधिकारी के लिये यह अनिवार्य है कि रिमांड देते समय वह अपने विवेक का इस्तेमाल करे न कि सिर्फ यांत्रिक रूप से रिमांड के आदेश को पारित कर दे।
  • सर्वोच्च न्यायालय के लिये यह आवश्यक है कि वह अधीनस्थ न्यायालयों में होने वाली इस तरह की खामियों के मुद्दे को सुलझाए और उनकी ज़वाबदेही तय करे।
  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्र सरकार को यह निर्देश जारी किया जाना चाहिये कि हिरासत में किसी अभियुक्त को चोट लगने या उसकी मृत्यु का उत्तरदायित्व संबंधित अधिकारी पर डालने संबंधी 10वें विधि आयोग की सिफारिश के अनुरूप भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन जैसे उपयुक्त कदम उठाए जाए।
  • चूँकि पुलिस हिरासत में यातना के शिकार बनने वाले लोगों में अधिकांश समाज के आर्थिक या सामाजिक रूप से कमज़ोर वर्गों से संबंधित होते हैं, इसलिये अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार संसद से अत्याचार निवारण विधेयक (The Prevention of Torture bill) को पारित कराने की दिशा में कदम उठाए। 

पुलिस को नागरिकों के प्रति जवाबदेह बनाने की ज़रूरत

  • पुलिस व्यवस्था को आज नई दिशा, नई सोच और नए आयाम की आवश्यकता है। समय की मांग है कि पुलिस नागरिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों के प्रति जागरूक हो और समाज के सताए हुए तथा वंचित वर्ग के लोगों के प्रति संवेदनशील बने। देखने में यह आता है कि पुलिस प्रभावशाली व पैसे वाले लोगों के प्रति नरम तथा आम जनता के प्रति सख्त रवैया अपनाती है, जिससे जनता का सहयोग प्राप्त करना उसके लिये मुश्किल हो जाता है। 
  • आज देश का सामाजिक परिवेश पूरी तरह बदल चुका है। हमें यह समझना होगा कि पुलिस सामाजिक रूप से नागरिकों की मित्र है और बिना उनके सहयोग से कानून व्यवस्था का पालन नहीं किया जा सकता। लेकिन क्या समाज की भूमिका केवल मूक दर्शक बने रहकर प्रशासन पर टीका टिपण्णी करने या कैंडल लाइट मार्च निकालकर या सोशल साइट्स पर अपना विचार व्यक्त करने तक ही सीमित है?
  • प्रत्येक समाज को नीति-नियंताओं पर इस बात के लिये दबाव डालना चाहिये कि उनके राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणा पत्रों में पुलिस सुधार को एक अनिवार्य मुद्दे के रूप में शामिल करें।

निष्कर्ष

हमारे सामने प्रायः पुलिस की नकारात्मक छवि ही आती है, जिससे उसके प्रति आमजन का अविश्वास  और बढ़ जाता है। किसी भी लोकतांत्रिक देश में पुलिस बल की शक्ति का आधार जनता का उसमें विश्वास है और यदि यह नहीं है तो समाज के लिये घातक है। पुलिस में संस्थागत सुधार ही वह कुंजी है, जिससे कानून व्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता है। सभी तरह के गैर-कानूनी कार्यों पर नकेल कसी जा सकती है।

Sunday, July 7, 2019

Current content ( आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 )



चर्चा में क्यों ?

  • केंद्रीय वित्त एवं कार्य वेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आर्थिक समीक्षा 2018-19 पेश की
  •  वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के आर्थिक प्रभाग ने यह सर्वेक्षण तैयार किया है
  •  इसकी थीम - " Shifting Gears "
  • या कुल 2 खंडों में पेश किया गया है ' ब्लू स्काई थिंकिंग ' अप्रोच पर आधारित इस साल का यह आर्थिक सर्वेक्षण है
  • ' ब्लू स्काई थिंकिंग ' का मतलब है - बिना किसी सीमा के नवाचारी विचारों को जन्म देना
सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था

  • 2018-19 में दुनिया तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है भारत
  •  बीते 5 सालों के दौरान 2014-15 के बाद भारत की वास्तविक जीडीपी दर ऊंची बनी रही है
  • इस दौरान औसत विकास दर को 7.5% आंका गया
  •  जीडीपी ग्रोथ की बात कर तो
        2017 से 18  में 7.2%
        2018 से 19 में 6.8% (अनंतिम अनुमान)
        2019 से 20 में 7.0% (प्रोजेक्टेड ग्रोथ)
  • चालू खाता घाटा (Current Account Deficit - CAD)
        2018-19 में GDP का 1.9% था
        अप्रैल से दिसंबर 2018 में GDP का 2.6% था
  • विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves)
        2017-18 में 424.5 बिलियन डॉलर
        2018-19 में 412.9  billion-dollar विदेशी मुद्रा    भंडार था
  • 2017-18 में FDI Inflow में 14.2% बढ़ोतरी हुई है
  •  राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) में देखे 
         2017-18 में यह GDP का 3.5% था जबकि
         2018-19 के लिए यह अकड़ा GDP 3.4% है।
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर मुद्रास्फीति - औसत का 3.4%
  • थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर मुद्रास्फीति - औसत का 4.3% है
  • प्राथमिक क्षेत्रक (कृषि और खाद्य प्रबंधन) की बात करें -

         2017-18 में GVA 5.0%
         2018-19 में GVA( ( अनंतिम अनुमान ) 2.9% है
  • द्वितीयक क्षेत्रक (उद्योग एवं अवसंरचना ) की बात करें तो -
        2017-18 में GVA 5.9%
        2018-19 में GVA 6.9% ( अनंतिम अनुमान )
  • तृतीयक क्षेत्रक ( सेवा क्षेत्र )

         2017-18 में GVA 8.1%
         2018-19 में GVA 7.5% ( अनंतिम अनुमान )
प्रमुख तथ्य

  • आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने निम्नलिखित के नाम बदलने के सुझाव दिए हैं-
  1. 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' से 'BADLAV' यानी 'बेटी आपकी धनलक्ष्मी और विजय लक्ष्मी'
  2. 'स्वच्छ भारत' से 'सुंदर भारत'
  3. एलपीजी सब्सिडी के लिए 'गिव इट अप' से 'थिंक अबाउट द सब्सिडी'
  4. 'कल वंचना' से 'कल अनुपालन' नाम करने का सुझाव है।
  • अनुसूचित बैंकों का ग्रॉस NPA 11.5% से घटाकर 10. 1% हो गया है
  • NBFCs का प्रदर्शन खराब रहा ; इनका ग्रॉस NPA मार्च 2018 के 6.1% के बरक्स दिसंबर 2018 में बढ़कर 6.5% हो गया है
  • डाटा का इस्तेमाल है जनता के लिए करने के लिए सरकार द्वारा डाटा सेट्स को मर्ज करने का सुझाव दिया गया है
  • भारत का एसडीजी सूचकांक अंक देखें-
          राज्यों के लिए 42 से 69 के बीच
         केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 57 से 68 के बीच

  • राज्यों में 69 अंकों के साथ केवल और हिमाचल प्रदेश आगे हैं
  • केंद्र शासित प्रदेश में 68 अंकों के साथ चंडीगढ़ और 65 अंकों के साथ पुदुंचेरी सबसे आगे हैं
 2040 में भारत की जनसंख्या का स्वरूप

  • 21वीं सदी के लिए जनकल्याण के प्रावधान की योजना है
  • 2021 तक रिप्लेसमेंट रेट से नेशनल टोटल फर्टिलिटी रेट कम हो जाएगी
  • मौजूदा समय में भारत की टोटल फर्टिलिटी रेट 2.3 है
  • कामकाजी आयु वर्ग की आबादी का 2021 से 2031 में 9.7 मिलियन प्रति वर्ष और 2031 से 2041 के दौरान 4.2 मिलियन प्रतिवर्ष की दर से बढ़ने का अनुमान है
  •  अगली दो दशकों में प्रारंभिक स्कूल में जाने वाले 5 से 14 साल के आयु वर्ग के बच्चों में भारी मात्रा में गिरावट आएगी
सरकार का विजन

  • न्यायालयों में पढ़ें लंबित मामलों में कमी लाना है मत्स्य न्याय को समाप्त करना सरकार का विजन है
  • एमएसएमई को बंधक मुक्त करना और उन्हें समर्थ बनाना
  • किफायती विश्वसनीय और सतत ऊर्जा के माध्यम से समावेशी वृद्धि को सक्षम बनाना
  • कल्याणकारी योजनाओं खासकर मनरेगा के लिए प्रौद्योगिकी के कारगर इस्तेमाल को बढ़ाना
  • समावेशी वृद्धि के लिए भारत में न्यूनतम वेतन प्रणाली का पुनर्निर्धारण करुणा सरकार के अन्य प्रमुख विज़नस है।

Thursday, July 4, 2019

Current news ( 21 June to 27th June) Part -3


11-  हाल ही में साइंस एडवांसेज जनरल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक हिमालय ग्लेशियर के पिघलने की दर 21वीं सदी की शुरुआत से दोगुनी हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 1975 से हिमालयी ग्लेशियर की बर्फ का एक चौथाई हिस्सा पिघल चुका है। यह तथ्य 1970 के दशक में शीत युद्ध के दौर में आमिर की सेटेलाइट द्वारा ली गई तस्वीरों और आधुनिक सेटेलाइट से मिले डाटा के अध्ययन से जुटाए गए हैं। इसमें हिमालय क्षेत्र के लगभग 650 ग्लेशियर्स में आए बदलाव का अध्ययन किया गया है, इस अध्ययन के मुताबिक हिमालय के ग्लेशियर से हर साल 8 बिलियन टन बर्फ पिघल रही है और इसकी भरपाई नहीं हो पा रही, इसका सबसे बड़ा कारण मानवीय गतिविधियां हैं; जिसके चलते और औसत तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। यह बढ़ता तापमान ग्लेशियर्स के पिघलने के दर में इजाफा कर रहा है।
इसके कई घातक परिणाम भारत, पाकिस्तान, चीन जैसे देशों पर पढ़ सकते हैं। जिनके जल संसाधन का बड़ा हिस्सा हिमालय की चोटियों से निकलने वाली बड़ी नदियों पर निर्भर है। भविष्य में दक्षिण एशिया में हिमालय के निचले हिस्से में रहने वाले लगभग 1 बिलियन लोग पानी की अनियमित आपूर्ति से प्रभावित होंगे। यह रिपोर्ट कहती है कि यदि कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए कठोर कदम उठाए जाते हैं तो भी इस सदी के आखिरी तक हिंदू कुश- हिमालय रेंज की एक-तिहाई बर्फ पिघल जाएगी। कठोर उपायों को अपनाए जाने की स्थिति में दो-तिहाई के पिघल जाने का अनुमान है।

12- हालहिं में WHO ने E- 2020 initiative:2019 प्रोग्रेस रिपोर्ट जारी कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में दुनिया के 7 देशों में मलेरिया की कोई भी मामला सामने नहीं आया है। इन देशों में चार देश एशिया के हैं। एशिया के ये चार देश चीन, ईरान, मलेशिया और तिमोर-लेस्ते हैं। वहीं एक मध्य अमेरिकी देश एल साल्वाडोर, एक दक्षिण अमेरिकी देश पराग्वे,  एक उत्तरी अफ्रीकी देश अल्जीरिया है। इनमें चीन और एल साल्वाडोर ऐसे देश हैं जहां लगातार दो साल मलेरिया के मामले सामने नहीं आए है।
दरअसल 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने E- 2020 initiative लांच किया था। जिसमें 21 देशों को शामिल किया गया था। इन देशों को 2020 तक मलेरिया मुक्त बनाने का लक्ष्य था। गौरतलब है कि यह 7 देशों ने 21 देशों में से हैं। मलेरिया प्लाज्मोडियम जैसे परजीवी के कारण होता है।जिनका वहन मादा एनोफेलीज मच्छर करते हैं। इसमें प्लाज्मोडियम फेल्सीफेरम और प्लाज्मोडियम वाइवेक्स ज्यादा महत्वपूर्ण है।

13- हाल ही में बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया है कि ना मिलाई डिफरेंस वेजिटेशन इंडेक्स उष्णकटिबंधीय वनों में हाथियों के लिए मौजूद भोजन का सही अनुमान नहीं लगाता। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस NDVI का हाथियों के द्वारा भोजन के रूप में खाए जाने वाले ग्रामीनॉइडस के साथ नकारात्मक सहसंबंध है। नॉर्मलाइज डिफरेंट वेजिटेशन इंडेक्स यानी NDVI का मापन सेटेलाइट डाटा के आधार पर किया जाता है। यह हाथी जैसे शाकाहारी जीवो के लिए भोजन की उपलब्धता का अनुमान लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दक्षिण भारत में निलगिरी और पूर्वी घाट में यह शोध किया जा गया है। इस शोध में आर्द्र पर्णपाती, शुष्क पर्णपाती और टीक वनों को शामिल किया गया है। इस शोध में पाई गई भोजन की उपलब्धता NDVI के अनुसार नहीं थी। गौरतलब है कि NDVI एक सामान्य संकेतक है यह बताता है कि कितनी भूमि वनस्पति से ढकी है। यह इंडेक्स किसी ऑब्जेक्ट के द्वारा परावर्तित रेड और near-infrared लाइट के बीच के अंतर की गणना करता है। स्वस्थ वनस्पति लाल प्रकाश का शोषण कर लेती है और near-infrared प्रकाश को परावर्तित करती है। यह अंतर स्वस्थ वनस्पति की उपलब्धता को बताता है। शोध में पता चला है कि जिन इलाकों में घास की उपलब्धता कम थी वहां का NDVI भी ज्यादा था इसका कारण कैनोपी कवर ज्यादा होना और झाड़ियों की अधिकता को बताया गया है।

14- केरल विश्वविद्यालय ने आरोग्य पाचा पौधे के जीनोम को डिकोड कर लिया है। आरोग्य पाचा पौधा औषधिये रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। इसका इस्तेमाल कणी जनजाति के लोग पारंपरिक तौर पर करते हैं थकान मिटाने के लिए। शोध के अनुसार या पौधा एंटी ऑक्साइड, एंटीमाइक्रोबियल्स, एंटी इन्फ्लेमेट्री, एंटीट्यूमर, एंटीअल्सर और एंटी डायबिटिक गुणों से युक्त है। ऐसा माना जा रहा है कि इस पौधे की जिनोम को डिकोड किए जाने से इसके गुणों पर शोध को बढ़ाया जा सकेगा। आरोग्य पाचा अगस्त्य हिल्स का स्थानीय पौधा है या पश्चिमी घाट के दक्षिणी हिस्से में 1000 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है। इन पौधों की मौजूदगी नदियों की छोटी धाराओं के पास है। इस पौधे के फल प्रारंभिक अवस्था में खाने योग्य होते हैं। आयुर्वेद में इस पौधे को 18 उच्च कोटि की औषधियों में से एक माना गया है। 1995 में टॉपिकल बौटैनिकल गार्डन एंड विजिटर्स इंस्टीट्यूट (TBGRI) ने कणी जनजाति के पारंपरिक ज्ञान की मदद से आरोग्य पांचा पौधे से जीवनी नाम की दवा बनाई थी। यह दवा थकान, तनाव, प्रतिरोधक क्षमता और लीवर के बचाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
15- हाल ही में ओडिशा सरकार ने बाढ़ आपदा एटलस जारी किया है। इसे क्लास में 2001 से 2018 तक के दौरान सेटेलाइट से ली गई चित्रों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें राज्य को बाढ़ से प्रभावी तरीके से निपटाने में मदद मिलेगी। इसके लिए इसरो के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) मैं उड़ीसा के बाढ़ प्रभावित जोंस का अध्ययन किया है। इस अध्ययन के मुताबिक 2001 से 2018 के दौरान उड़ीसा का 8.96% हिस्सा बाढ़ प्रभावित था। यह लगभग 13.9 600000 हेक्टेयर क्षेत्र है। इसमें से 2.81 लाख हेक्टेयर भूमि हाई से वैरी हाई फ्लड हजार्ड केटेगरी में आती है। ओडिशा में हर साल यहां की बड़ी नदियों मसलन महानदी, ब्राह्मणी, बैंतरनी, स्वर्णरेखा और रूशिकुल्या नदियों में बाढ़ आती है। एटलस में बाढ़ नियंत्रण के उपाय अपनाने और राहत एवं बचाव कार्यो के संचालन में मदद मिलेगी। साथ ही जरूरत वाली जगहों पर राहत और स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना भी की जा सकेगी। इस एटलस की मदद से बाढ़ वाले मैदानों में विकास गतिविधियों पर भी नियंत्रण हो सकेगा।

16- हाल ही में अमेरिका ने स्टेट डिपार्टमेंट्स 2018 रिपोर्ट इंटरनेशनल फ्रीडम जारी किया है। अमेरिका यह रिपोर्ट हर साल जारी करता है। इस रिपोर्ट में दुनिया के सभी देशों के लिए चैप्टर निर्धारित है। भारत के लिए दिए गए चैप्टर मैं भारत के मॉब लिंचिंग और देशों में अल्पसंख्यकों से जुड़े कानूनों और सरकारी नीतियों पर विस्तृत चर्चा की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और राजनीतिक दलों द्वारा उठाए गए कदमों ने देश में मुस्लिम जनसंख्या और उनके संस्था को प्रभावित किया है। भारतीय शहरों के नाम बदलने के मुद्दे को रिपोर्ट में शामिल किया गया है। इस कवायद को भारतीय इतिहास में मुसलमानों के योगदान को कम करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि किसी दूसरे देश को भारत में लोकतंत्र और कानून के शासन पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है।

17- इंस्टीट्यूट आफ लाइफ साइंसेज ने चिकनगुनिया वायरल इनफेक्शन के लिए एंटीबॉडी का विकास किया है। इस एंटीबॉडी के वाणिज्यिकरण के लिए भी इंस्टीट्यूट आफ लाइफ साइंसेज को लाइसेंस मिल गया है। इस एंटीबॉडी का विकास सोमा चट्टोपाध्याय की अगुवाई वाली टीम ने किया है।अब ILS इस एंटीबॉडी को वाणिज्यिकरण के लिए बायो टेक्नोलॉजी कंपनी से साझेदारी करेगा ILS इससे पहले चिकनगुनियाा वायरल इन्फेक्शन के लिए एंटीबॉडी के विकास की बात सामनेे नहीं आई है। इस तरह ILS  की टीम चिकनगुनिया वायरल इंफेक्शन के लिए एंटीबॉडी का विकास करने वाला पहला समूह है। इस एंटीबॉडी को चिकनगुनिया वायरल इंफेक्शन के लिए nsP1, nsP3 और nsP4 प्रोटीन के लिए  संवेदनशील और पॉलीक्लोनल एंटीबॉडी के तौर पर बांटा गया है। चिकनगुनिया वायरस से फैलने वाली बीमारी है। यह संख्या में मच्छरों सेे मानव में फैलती है। इसके लिए जिम्मेदार मच्छर एडीज एजेप्टी और एडीज एल्बोपिक्ट हैंं।

Monday, July 1, 2019

Current news ( 21 June to 27th June) Part -2


5- केंद्र सरकार ने सोलर और वेंट पावर डेवलपर्स और SECI/NTPC के बीच होने वाले विवादों को निपटाने के लिए एक 3 सदस्य डिस्प्यूट रेजोल्यूशन कमेटी (DRC) के गठन की मंजूरी दी है। यह कमेटी ऐसी समस्याओं का निवारण करेगी जिनका उल्लेख कांट्रैक्ट मैं नहीं है इससे देश में सौर और पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट्स में बाधा रहित संचालन में मदद मिलेगी। डिस्प्यूट रेजोल्यूशन कमेटी की समस्या समाधान प्रणाली SECI या NTPC द्वारा कार्यान्वित की जा रही सभी पवन और सौर ऊर्जा योजनाओं, कार्यक्रम और प्रोजेक्ट्स पर लागू होगी। SECI का पूरा नाम Solar Energy Corporation of India Ltd हैं|
2011 में इसकी स्थापना जवाहरलाल नेहरू नेशनल सोलर मिशन क्रियान्वयन के लिए की गई थी। यह सौर ऊर्जा क्षेत्र के लिए एकमात्र केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम है। लेकिन वर्तमान में यह पूरे नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को कवर करती है। वर्तमान में या नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं मसलन सोलर पार्क स्कीम, गेट कनेक्टेड सोलर रूफटॉप स्कीम आदि को लागू करती है। वही NTPC की स्थापना 1975 में हुई थी, इसे 2010 में महारत्न कंपनी का दर्जा मिला था।

6- चोरी हुए फोन को ट्रेक करने के लिए और उनके डेटाबेस को गलत इस्तेमाल से बचाने के लिए संचार मंत्रालय जल्द ही IMEI डेटाबेस जारी करने वाला है। 15 अंकों वाले IMEI के लिए मंत्रालय एक सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर तैयार करेगा। इसकी जब यह चोरी हुए फोन पूरी तरह बंद किए जा सकेंगे। दरअसल चोरी हुए फोन के बारे में टेलीकॉम विभाग को सूचना देने पर फोन के IMEI नंबर को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। इसके बाद उस फोन में किसी भी कंपनी। कंपनी के सिम कार्ड का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
IMEI (International Mobile Equipment Identity) यह एक यूनिक नंबर होता है। जिसके जरिए किसी भी फोन की पहचान की जा सकती है। इस डेटाबेस में ब्लैक, व्हाइट और ग्रे तीन तरह की लिस्ट होंगी। ब्लैक लिस्ट वाले फोन पूरी तरह काम करना बंद कर देंगे जबकि व्हाइट लिस्ट वाले फोन काम करते रहेंगे और उन्हें खरीदा और बेचा भी जा सकेगा, वही ग्रे लिस्ट वाले फोन कुछ शब्दों के तहत काम करने की इजाजत मिलेगी।

7- अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा में 4 हाथियों को भेजे जाने के मामले ने विवाद का रूप ले लिया है। इन हाथियों को असम वन विभाग के द्वारा गुजरात भेजे जाने के फैसले का पर्यावरण कार्यकर्ता भारी विरोध कर रहे हैं। इनका मानना है कि इस भीषण गर्मी में हाथियों को ट्रेन से भेजने पर उनके जीवन को खतरा हो सकता है। हाथियों को त्वचा संक्रमण या डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।
दरअसल वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची -1 के मुताबिक किसी भी हाथी को एक बार में 30 किलोमीटर या 3 घंटे से ज्यादा नहीं चलाया जा सकता हैं। वही इस बात का भी जिक्र है कि एक बार में 6 घंटे से ज्यादा वक्त के लिए हाथियों का परिवहन नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि हाथियों को असम से गुजरात ले जाने में लगभग 70 घंटे की संभावना है इसी कानून की धारा 43 (1) के मुताबिक क्रय-विक्रय या किसी वाणिज्य उद्देश्य से किसी की बंदी प्राणी (Captive animal)  का अंतरण नहीं किया जा सकता।
2016 में वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था बंदी हाथियों को किसी भी तरीके से राज्य के बाहर  ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।
     
8- हाल ही में जीएसटी काउंसिल की 35 बी बैठक हुई। इस बैठक में कई माह स्कूल फैसले लिए गए। बैठक में नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी का कार्यालय 2 सालों के लिए बढ़ा दिया गया है। साथी कारोबार करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए महज आधार नंबर देकर जीएसटी रजिस्ट्रेशन का प्रावधान किया गया है। मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने के लिए जीएसटी कटौती का लाभ ग्राहकों को ना देने वाली कंपनियों पर लाभ की राशि के 10% तक जुर्माना लगाने का प्रावधान भी किया गया है। दूसरे तरफ सालाना रिटर्न GSTR-9, 9A और 9C जमा करने की अंतिम तिथि 30 जून से बढ़ाकर 30 अगस्त कर दी गई है। चरण बद्ध तरीके से e-Invoicing और e-Ticketing की व्यवस्था को भी मंजूरी दी गई है। दरअसल इस व्यवस्था में e-Tiket को ही Tax Invoice माना जाएगा। परिषद ने इलेक्ट्रॉनिक वाहनों पर जीएसटी कटौती का मामला फिटमेंट कमिटी के पास भेज दिया है। अगली मीटिंग से पहले यह कमेटी अपनी रिपोर्ट दे देगी।

9- गुजरात राज्य सभा चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बेहद अहम फैसला आया है । जिसमें कोर्ट का फैसला Casual Vacancy के पक्ष में आया है।
गुजरात में 2 राज्य सभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में विवाद खड़ा हो जाने से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। दरअसल चुनाव आयोग ने दोनों सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराने के लिए अलग अलग नोटिफिकेशन जारी किया है।लेकिन कांग्रेस ने दोनों ही सीटों पर एक साथ चुनाव कराए जाने की मांग की। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिफिकेशन जारी कर खाली हुई सीटों की प्रकृति के बारे में पूछा। जब किसी भी सदन के लिए उप चुनाव की स्थिति पैदा हो जाती है तो उसे Casual Vacancy कहते हैं।
इसकी चर्चा जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 147 से 151 में की गई है। वही कार्यालय पूरा होने के बाद सीट खाली होने पर उसे Statutory या Regular Vacancy कहते हैं। कानून के मुताबिक राज्य सभा या विधान परिषद में कैजुअल वैकेंसी के लिए अलग-अलग और रेगुलर वैकेंसी के लिए एक साथ चुनाव कराए जाने का प्रावधान है। मौजूदा गुजरात चुनाव में संख्या बल मुताबिक जीत हासिल करने के लिए एक उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के 59 वोट चाहिए। जब दोनों सीटों के लिए एक ही बैलट पेपर से चुनाव होगा तो कांग्रेस और भाजपा दोनों को एक-एक सीट पर आसानी से जीत मिल पाएगी क्योंकि भाजपा के पास 100 और कांग्रेश के पास 71 विधायक हैं। लेकिन अलग-अलग बैलेट पेपर से चुनाव होने से विधायक अलग-अलग वोट करेंगे, ऐसे में भाजपा के पास 100 विधायक होने से दोनों ही सीटें उनकी झोली में चली जाएंगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी 1994 और 2009 में अलग-अलग चुनाव कराने के पक्ष में फैसला दिया था। राज्यसभा में चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।

10- उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने विधेयक संबंधी संवैधानिक प्रावधानों पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है। संसद की उत्पादकता को बढ़ाने के मकसद से विधेयकों के लंबित और उनके निष्प्रभावी होने संबंधी प्रावधान पर विचार करने की बात कही गई है। दरअसल सोलवीं लोक सभा के विघटन के बाद 22 विधेयक निष्प्रभावी ( Lapse) हो गए जबकि वह लोकसभा में पेश हो चुके थे। लिहाजा उन्हें पारित करने के लिए लोक सभा में फिर से पेश करना होगा।
वेंकैया नायडू ने दूसरी सलाह दी है कि अगर कोई बिल 5 सालों के भीतर पारित नहीं हो पाता है तो उसे भी लैप्स माना जाना चाहिए।
गौरतलब है कि 1987 का द इंडियन मेडिकल काउंसिल संशोधन विधेयक 32 सालों से राज्यसभा में लंबित है। संविधान के अनुछेद 107 (5) मे कहा गया है कि कोई विधेयक जो लोकसभा में लंबित है या जो लोकसभा से पारित हो चुका है और राज्यसभा में लंबित है वह लोकसभा के विघटन के बाद लैप्स हो जाएगा। वहीं अनुच्छेद 107 (4) के मुताबिक राज्यसभा में लंबित विधेयक जिसे लोकसभा ने पारित नहीं किया है वह लोकसभा के विघटन के बाद लैप्स नहीं होगा।




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Saturday, June 29, 2019

Current news ( 21 June to 27th June) Part -1


1- आंध्र प्रदेश सरकार ने कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य के मैंग्रोव वनो को UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट मे शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इसके लिए सरकार ने सात  सदस्य समिति बनाई है। यह समिति कोरिंगा के गोदावरी मैंग्रोव्स को वल्र्ड हेरिटेज स्टेट्स दिलाने के लिए जरूरी शर्तों को पूरा करने के बारे में सुझाव देगी। कोरिंगा के मैंगोव्र भारत में दूसरे सबसे बडे मैंग्रोव वन हैं। यह वृक्षो की 24 प्रजातियां मिलती हैं। यह वन गोदावरी नदी के मुहाने पर है। इन्हें मादा वनों के नाम से भी जाना जाता है।
कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य मैं पक्षियों की अनेक प्रजातियां मिलती हैं। यहां लोंग बिल्ड वल्चर, स्पॉट बिल्ड पेलिकन और वाइट इबिस जैसे पक्षियों की संकटग्रस्त प्रजातियां मिलती हैं। यहां गोल्डन जैकाल, समुद्री कछुआ, फिशिंग कैट, स्मूथ कोटेड ऑटर की संख्या भी मिलती हैं। अगर इस अभयारण्य को वर्ल्ड हेरिटेज साइट स्टेटस का दर्जा मिल जाता है तो यहां पर्यटन के विकास और मैंग्रोव्स मे वन्य जीव के संरक्षण में यूनेस्को सहायता करेगा।

2- 21 जून को दुनिया भर में पांचवा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। झारखंड की राजधानी रांची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हजारों लोगों ने योग के कई आसन किए।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019 के लिए रांची को होस्ट सिटी बनाया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय में 20 जून को ही योग दिवस का आयोजन किया गया था।
 संयुक्त राष्ट्र संत मुताबिक इस साल योग दिवस की थीम है "Yoga for Climate Action"
भारत में योग दिवस के आयोजन की जिम्मेदारी आयुष मंत्रालय संभालता है। इस साल योग दिवस के आयोजन को "Yoga with Gurus" का नाम दिया गया।
 दिसंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था। लिहाजा 2015 से ही दुनिया भर में इस दिन का आयोजन किया जाता हैं। 2016 में यूनेस्को ने योग को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया था।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का मकसद योग जैसी प्राचीन पद्धति के बारे में जागरूकता फैलाना है ताकि मानव शरीर स्वस्थ और निरोगी बन सके।

3- WHO ने एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल को लेकर एक वैश्विक कैंपेन लॉन्च किया है। इसमे WHO ने नहीं ऑनलाइन टूल 'AWaRe' को अपनाने का जिक्र किया है।
यह टूल नीति-निर्माताओं और स्वास्थ्यकर्मियों को  एंटीबायोटिक्स के सुरक्षा तथा प्रभावी इस्तेमाल के लिए दिशा निर्देश देगा। इस टूल के तहत एंटीबायोटिक दवाओं को तीन वर्ग में रखा गया है।

  • Access group
  • Watch group
  • Reserve group
इसमे Access group में शामिल दवाओं का इस्तेमाल सामान्य और गंभीर संक्रमण ओं की स्थिति में किया जाएगा।
Watch group मैं शामिल दवाएं हमेशा स्वास्थ देखभाल प्रणाली में मौजूद रहेंगी। जबकि Reserve group में रखी गई दवाओं का इस्तेमाल अंतिम विकल्प के तौर पर किया जाएगा।
इस  कैंपेन के तहत Accesa group में शामिल एंटीबायोटिक का इस्तेमाल कम-से-कम 60℅ तक बहाने का लक्ष्य रखा गया है। जबकि Watch और Reserve group के एंटीबायोटिक्स इस्तेमाल घटाने का लक्ष्य है।
वर्तमान समय में एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का विकास स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। लिहाजा 'AWaRe' टूल नीति-निर्माताओं और स्वास्थ्य कर्मियों को सही समय के लिए सही एंटीबायोटिक चुनने में मदद करेगा

4- दुनिया भर में विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता बताने वाली "QS World Ranking 2020" जारी कर दी गई हैं।
टॉप यूनिवर्सिटी में अमेरिका की Massachusetts Institute of Technology (MIT) इसने अपना वर्चस्व कायम रखा है। पिछले कई सालों से या संस्थान पहले पायदान पर काबिज है।
पिछले साल कितने साल भी अमेरिका स्थित Stanford University को दूसरे और Harvard University को तीसरे स्थान पर जगह मिली है।
अगर भारत की बात करें तो भारत के 3 संस्थानों को शीर्ष 200 संस्थानों में जगह मिली है। इसमें IIT बॉम्बे को 152वे, IIT  दिल्ली को 182वें और बंगलुरू स्थित IISc (Indian Institute of Science) को 184वें स्थान पर जगह मिली हैं। पिछले साल IIT दिल्ली की जगह IIT मद्रास को टॉप 200 में जगह मिली थी। रैंकिंग में भारत के 23 संस्थानों को शीर्ष 1000 संस्थानों में जगह मिली है; जबकि पिछले साल 24 संस्थानों को जगह दी गई थी।
QS एक वैश्विक उच्च शिक्षण संस्थान है। जिसकी स्थापना 190 में की गई थी।
 इसका मकसद दुनिया भर के छात्रों और पेशेवरों कि बेहतर संस्थानों के चयन में मदद करना है।

भूटान के नए क्षेत्र पर चीन का दावा

                 चर्चा में क्यों ? एक बार फिर भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद सुर्खियों में है। चीन ने भूटान के पूर्वी भारत पर ...